- सास बहू को बेटी और बहू सास को मां समझे तो गृहस्थ जीवन स्वर्ग जैसा बन सकता है
विवेक मिश्रा, संवाददाता
देवास (मध्य प्रदेश)। इस अनमोल मानव जीवन के महत्व को, इसके असली उद्देश्य को, लोक-परलोक दोनों बनाने वाले इस समय के पूरे महापुरुष उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 7 जनवरी 2022 को देवास (मध्य प्रदेश) में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि अपना कौन है, जिससे साथ ज्यादा दिन रहना पड़ता है। पहले तो बच्चियों का मासिक धर्म होने लगता था तो शादी के लिए देखने लगते थे और शादी कर देते थे। अब इधर नियम कानून बदला 18- 20-21 साल इसमें होना चाहिए तो बच्चियां कहां रहती है? मां के पास रहती है। और शादी के बाद सास के पास रहती है। जब तक सास जिंदा रहती है, चाहे 80-90 साल की सास हो जाएगी तब तक उसके साथ रहना पड़ता है। लेकिन इस चीज को बहुएं कहां समझती हैं, वह तो समझती है कि ये हमारी सास है।
समय से बच्चे और बच्चियों का शादी-ब्याह कर दो, उनको न खोजना पड़े
कोई भी मां हो अपनी लड़की को कितने समय तक रखती है? 18-20-25 साल में चिंता सताने लगती है कि इसका हाथ पीला करना है, इसको भेजना है। जो चिंता फिक्र नहीं करते हैं वह गृहस्थ धर्म का पालन नहीं करते हैं। इसलिए मैं बराबर कहता रहता हूं लड़के हो चाहे लड़कियां हो, समय से उनका शादी-ब्याह कर देना, यह गृहस्थ धर्म होता है।
गृहस्थ धर्म का जब से लोगों ने पालन करना छोड़ा, परेशानी आ गई
गृहस्थ धर्म का जब से लोगों ने पालन छोड़ा, परेशानी आ गई, जेल भी पड़ जाना होता है। शादी-ब्याह समय से नहीं करते हैं तो बच्चे-बच्चियां अपने मन का पसंद का कर लेते हैं। उनको तो जीवन का अनुभव होता नहीं। 2 महीना भी नहीं बीतता और दहेज तलाक के मुकदमे चालू हो जाते हैं। समझो एक लड़की की शादी आपको करनी रहती है। 18 साल 20 साल 25 साल 30 के अंदर तो कर ही देते हैं सब लोग। इससे ज्यादा तो बढ़ना नहीं चाहिए। 30 के बाद क्या होता है? कहा न-
ब्याह की इच्छा उठै मन में 18-20-25 में कीजै, 30 भई पर खींस भई, 40-50 में नाम न लीजै
आप यह समझो पीला तो हाथ करना ही है। आज के रीति-रिवाज से बेटी का साथ तो इतना दिन ही रहा। और बहू को जो लाये वह तो पूरी जिंदगी रहेगी। बेटी एक गिलास पानी पिला दिया खुश हो गए, यह तो पूरी जिंदगी सेवा करेंगी। तो क्यों नहीं उसको अपनी बेटी मान लेते हो? जो आप सास लोग बैठी हो, बहु को बेटी क्यों नहीं मान लेती हो? आप तो यही समझो कि एक बेटी को मैंने दे दिया, दूसरे की बेटी को मैं लेकर आई, यही मेरी बेटी है।
जब एक-दूसरे की इच्छा जब पूरी करोगे तब यही गृहस्थ आश्रम स्वर्ग जैसा रहेगा
बच्चियों जो आप बैठी हो, जिनकी शादी होनी है और जिनकी हो गई है, बहुएं जो घर में हो, सास को अपनी मां मान लो। जैसे मां की इच्छा बेटी पूरी करती है, बेटी की इच्छा मां पूरी करती है ऐसे ही जब एक-दूसरे की इच्छा जब पूरी करोगे तब यही गृहस्थ आश्रम स्वर्ग जैसा रहेगा। नहीं तो इसी में तलाक दहेज के मुकदमे, कहने का मतलब है ध्यान रखो।
बाबा उमाकान्त जी महाराज के वचन:
- लगन से जब कोई काम करते हैं तो उसमें सफलता जरूर मिलती है।
- हमेशा शमशान भूमि इंतज़ार करती रहती है समय पूरा हो हम निगल जाय।
- प्राण के निकलते ही शरीर में सड़न गलन बदबू होने लगती है।
- जिसने दुनिया बनाया शरीर आप को दिया उसी को भूल रहे हो।
- इस वक्त पर आप जो भी काम करने में लगे हुए हो वो दूसरों के लिए कर रहे हो।
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